मुरादाबाद से डाॅ जयप्रकाश सक्सेना
मई 18 2023 एक ऐतिहासिक दिन है जहां भारतीय परंपराओं और त्योहारों के खिलाफ तथा संवर्धन और नस्ल सुधार की प्रक्रिया हमारे न्यायपालिका रोक दी गई थी।
मानव और मानवीय संबंध, कृषि प्रधान राष्ट्र की आत्मा लगभग 6.76 लाख गांवों के साथ है। पूरे देश में कुछ क्रीड़ा हमारे पशुधन जैसे बैल, ऊंट, भैंस, घोड़े, हाथी आदि के साथ जुडे हऐं है।
2014के ए नागराजा बनाम भारत सरकार तथा अन्य के फैसले हमारे राष्ट्रीय परंपराओं और अनुष्ठानों के खिलाफ प्रतिबंधों के साथ आए थे, जिन पर तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकारों ने संशोधन अधिनियम पारित किए और केंद्र सरकार की सहमति और स्वीकृति के साथ नियमों का अधिष्ठापनबीएल किया।
ईन्हे फिर से चुनौती दी गई और खंड पीठ ने 5 न्यायाधीशों का संविधान पीठ को भेज दिया।
हमारे प्रिय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और तब पर्यावरण और वन मंत्री श्री प्रकाश जावेडकर ने तमिलनाडु में जलिकटट्टू के आयोजन का आश्वासन दिया।
केंद्रीय पशुपालन मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला, के नाथ दर्शन में मैं स्वयं, सचिव श्री राजेश कुमार सिंह आईएएस बोर्ड के अध्यक्ष डॉ ओपी चौधरी आईएफएस दैनिक आधार पर की निगरानी कर रहे थे।
दिसंबर, 2017 एक मोड़ के रूप में आया जब मुख्य याचिकाकर्ता भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष डा एस पी गुप्ता आईएएस सेवानिवृत ने ने कहा कि बोर्ड का जनादेश ने क्रूरता और दर्द रोकने का है, किसी भी परंपरा और अनुष्ठान में हस्तक्षेप करने के लिए नहीं है और इसके पालन हेतु र डा एसके मित्तल एलएलएम पीएचडी के नेतृत्व में मजबूत जलाकटटू मॉनिटरिंग समिति का गठन किया।
तमिलनाडु सरकार और सभी कलेक्टरों ने पूर्ण रूप से नियंत्रण और निर्धारित नियमो का पालन करना सुनिश्चित किया
जहां कभी भी सुधार की आवश्यकता थी, तमिलनाडु सरकार के उच्च अधिकारियों ने संज्ञा लिए। जैसेअतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीएस जवाहर आईएएस द्वारा बैल के सींग पर बुश लगाना, वर्तमान प्रमुख सचिव श्री ए कार्तिक आईएएस का बीमा कवर पेश और आयोजकों से सपथपत्र आदि।
माननीय मुख्यमंत्री टीएन श्री स्टालिन की दूरगामी सोच मदुरै में जालीकेटटू स्टेडियम ला रही है।
चूंकि 1 9 में से 20 में से 2020 और 2021 को छोड़कर जलिकटटू घटनाओं की निगरानी में पिछले 6 साल से समिति काम कर रही ह और विभिन्न क्रूरता दर्द चोट आयामों पर रोक लगाने में सफल रही इस कारण बोर्ड ने तटस्थ रुख अपनाया और मुख्य याचिका कर्ता से नियामक का भाग अपनाया।
बोर्ड ने जिलिकटटू निरीक्षण समिति की विभिन्न रपटो को माननीय पीठ के समक्ष रखा जिसका पूर्ण संज्ञान लिया गया
आज का न्यायाधीशों जोसफ , श्रीअजय रस्तोगी, श्री अनिरुद्ध्ढ बोस, श्री हृष्याच रॉय) और श्री सी.टी. रवीकुमार द्वारा पारित निर्णय लाखों आजीविका, नस्ल सुधार, संस्कृति और परंपरा को बचा सकता है।
हम आपके अवलोकन के लिए मील का पत्थर के फैसले को संलग्न कर रहे हैंडॉ।, एसके मित्तल संयोजक और सदस्य जलीकत्तु निरीक्षण समिति