भारत ने रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए पिछले चार से पांच सालों में कई उपाय किए हैं। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पीआईएल की पहली सूची दिसंबर 2021, दूसरी मार्च 2022 और तीसरी अगस्त 2022 में जारी की गई थी। देश की नरेंद्र मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत की तेजी से आगे बढ़ रही है। रक्षा निर्माण में भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं। यही वजह है कि रविवार को रक्षा विभाग ने 928 उत्पादों की एक लिस्ट जारी की है, जिन्हें भारत में ही बनाया जाएगा और आने वाले सालों में इनके आयात पर बैन लगाया जाएगा।
डिफेंस मिनिस्ट्री के अनुसार, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) की ओर से आयात को कम करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 928 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट्स (एलआरयू), सब-सिस्टम्स, स्पेयर और कंपोनेंट्स, हाई एंड मटीरियल्स और स्पेयर्स की चौथी लिस्ट जारी की है। इन पार्ट्स पर अभी 715 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) को मंजूरी दे दी गई है। जिन उत्पादों को लिस्ट में शामिल किया गया है उन्हें समय सीमा के बाद ही भारतीय-उद्योग से खरीदा जा सकेगा। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पीआईएल की पहली सूची दिसंबर 2021, दूसरी मार्च 2022 और तीसरी अगस्त 2022 में जारी की गई थी।मंत्रालय ने बताया है कि इन लिस्ट्स में 2500 आइटम शामिल हैं जो पहले से ही स्वदेशी हैं और 1238 आइटम वे हैं जो समय सीमा के भीतर स्वदेशी तैयार किए जाएंगे। केंद्र सरकार ने अब तक देश में आत्मनिर्भर भारत के तहत 1238 में से 310 उत्पादों का स्वदेशीकरण किया है। नई लिस्ट में सुखोई-30 और जगुआर फाइटर जेट्स, हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर-40 (HTT-40) विमानों, बोर्ड युद्धपोतों पर मैग्जीन फायर-फाइटर सिस्टम्स और गैस टरबाइन जनरेटर के कई पार्ट्स बनाए जाएंगे। पिछली सूचियों में इन रक्षा उत्पादों पर दिया गया जोरइससे पहले वाली सूचियों में फाइटर जेट्स, डोर्नियर-228 विमानों, पनडुब्बियों के लिए कई सिस्टम, टी-90 और अर्जुन टैंक, बीएमपी-सेकंज इंफेंट्री कोम्बैट व्हीकल्स, युद्धपोत और सबमरीन और एंटी-टैक मिसाइलों के कई पुर्जे स्वदेशीकरण के लिए शामिल किए गए थे।
इन्हें रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम के तमाम साधनों के जरिए पूरा किया जाएगा। भारत ने रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए पिछले चार से पांच सालों में कई उपाय किए हैं. चरणबद्ध आयात प्रतिबंधों की एक सीरीज के अलावा इन कदमों में स्थानीय रूप से निर्मित सैन्य हार्डवेयर खरीदने के लिए एक अलग बजट बनाना और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करना शामिल है।