पूर्वजों को समर्पित पितृ पक्ष शुक्रवार से शुरू हो गए हैं। यह 14 अक्तूबर तक चलेगा। लोग श्रद्धा के साथ अपने पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अन्य अनुष्ठान करेंगे
पितृपक्ष की शुरुआत होते ही हरिद्वार में नारायणी शिला मंदिर में देश भर के कई राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने के लिए सुबह से ही लोग नारायणी शिला पर पहुंचने लगे हैं। पंडितों की ओर से विधि विधान से उनका श्राद्ध किया रहा है।
वहीं श्राद्ध पक्ष शुरू होते ही बदरीनाथ धाम की ब्रह्म कपाल में पितरों को तर्पण देने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए है। धाम में स्थित ब्रह्म कपाल में पिंडदान का विशेष महत्व है। यहां पितरों को पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्म कपाल में पिंडदान करने के बाद अन्य तीर्थ में पिंडदान करने का महत्व नहीं होता है।
पितरों का उतरता है ऋण
ज्योतिषाचार्य डॉ. सुशांत राज के मुताबिक, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है। इन 16 दिनों में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किए जाते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्तूबर तक चलेगा।
उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष को महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए श्राद्ध कर्म से पितर तृप्त होते हैं और पितरों का ऋण उतरता है।
मांगलिक कार्य नहीं किए जाते
पितृपक्ष के दौरान तामसिक चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पक्षियों के रूप में इस धरती पर आते हैं, इसलिए इन दिनों गलती से भी किसी पक्षी को नहीं सताना चाहिए
पितृपक्ष पूर्वजों के लिए समर्पित होता है, इसलिए इस दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि जो पूर्वज पूर्णिमा तिथि को मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उनका श्राद्ध पितृपक्ष के भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए